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फुटपाथ के बच्चों की जानकारी अपडेट नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार  

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राज्यों से सड़कों और फुटपाथों पर रहने वाले बच्चों की जानकारी सरकारी पोर्टल पर अपडेट न करने पर फटकार लगाई है। सर्वोच्च अदालत ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को उन्हें तीन हफ्ते के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि देश दो साल से कोविड-19 से लड़ रहा है, लेकिन इसके यह मायने नहीं कि अदालत के आदेश का पालन ही नहीं हों। अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सभी राज्यों को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अब चार हफ्ते बाद सुनवाई करेगा।

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कोरोना और जिन दूसरी समस्यायों का हम मुकाबला कर रहे हैं, वह ऐसे बच्चों के लिए कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है, जिनकी देखभाल करने वाला कोई भी नहीं है। सर्वोच्च अदालत ने राज्यों के जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया कि वह बिना देरी सड़कों पर रह रहे बच्चों की पहचान करने के जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण और स्वयंसेवी सगठनों की सहायता ले और बाल स्वराज पोर्टल पर सभी चरणों की जानकारी अपलोड करे।

सर्वोच्च अदालत ने राज्य सरकारों से सड़क पर रह रहे बच्चों के पुनर्वास के लिए जल्द ही नीतिगत फैसला करने को भी कहा। अदालत ने यह भी कहा कि एनसीपीसीआर की बैठक में बच्चों के पुनर्वास के मुद्दे पर चर्चा की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने तीन हफ्ते के अंदर राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से मामले स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहते हुए कहा कि अदालत चार हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेगी।

याद रहे सर्वोच्च अदालत कोरोना महामारी के दौरान सड़कों और फुटपाथ पर रह रहे बच्चों की स्थिति और पुनर्विस्थापन के मामले में स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही  है। मामले के दौरान कुछ राज्यों ने अपने यहाँ मामलों की संख्या को लेकर जानकारी दी।

आप ने पंजाब में मान को बनाया अपना मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी

पार्टी सांसद भगवंत सिंह मान को आम आदमी पार्टी (आप) ने पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए अपना मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया है। इसका ऐलान आप नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अब से कुछ देर पहले किया।

केजरीवाल ने इस मौके पर कहा कि पार्टी ने अपना मुख्यमंत्री चेहरा चुनने के लिए नया तरीका अपनाया। केजरीवाल ने कहा – ‘जहाँ दूसरी पार्टियों ने बेटे या रिश्तेदार को मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार बनाया वहीं आप ने जनता के  बीच जाकर उसकी राय जानकार अपना मुख्यमंत्री चेहरा मान को बनाया है।

केजरीवाल ने कहा कि पंजाब की 92 फीसदी से ज्यादा जनता ने भगवंत मान का नाम चुना है। उन्होंने कहा कि जनता ने खुद उनके नाम (केजरीवाल) पर भी मुहर लगाई लेकिन उन्होंने अपना नाम वाले वोट कुल मतों से हटा दिए।

उनके मुताबिक बाकी जो वोट बचे उनमें मान को 92 फीसदी ने भगवंत मान के नाम मुहर लगाए। दिलचस्प बात है यह है कि केजरीवाल ने कहा कि मान के बाद करीब 3 फीसदी जनता ने नवजोत सिंह सिद्धू का नाम चुना। बता दें सिद्धू आप नहीं, कांग्रेस के नेता हैं और इस समय पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। उन्हें कांग्रेस में भी मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जाता है।

पंजाब के सीएम चन्नी के भतीजे समेत कई पर ईडी के छापे

विधानसभा चुनाव के बीच पंजाब में केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भतीजे और अन्य के ठिकानों पर छापेमारी की है। ईडी के अधिकारियों में मंगलवार सुबह सीएम के भतीजे भूपिंदर सिंह हनी के आवास समेत प्रदेश भर में दस अलग-अलग ठिकानों पर छापे मारकर उनकी तलाशी ली है। ईडी ने इन लोगों के खिलाफ धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का मामला दर्ज किया है।

पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले ईडी की इस कार्रवाई पर राजनीति भी तेज हो गयी है। ईडी अधिकारियों के मुताबिक इन सभी लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और इस मामले में राजनीतिक कनेक्शन भी देखा जा रहा है।

ईडी ने जिन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है उनमें मुख्यमंत्री चन्नी के भतीजे भी शामिल हैं। इन सभी के ठिकानों पर जांच जारी है। मंगलवार सुबह ये छापेमारी की गयी। जहाँ कांग्रेस के कई नेताओं ने इस छापेमारी को राजनीति से प्रेरित बताया है वहीं विपक्षी नेताओं ने इसे लेकर कांग्रेस और मुख्यमंत्री पर हमला बोला है।

आप नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि वो तो पहले से कह रहे हैं कि सीएम के हलके चमकौर साहिब में बालू का अवैध खनन हो रहा है। उधर पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह, जो अब भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, ने भी चन्नी पर हमला बोला है।

गैर कोरोना रोगी को भी मिले इलाज

दिल्ली में भले ही कोरोना वायरस के मामलों में गत दो दिनों से गिरावट दर्ज की जा रही है। लेकिन कोरोना का हाहाकार दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में साफ देखा जा रहा है। अस्पताल की पंगु स्वास्थ्य सेवायें मरीजों के लिये मुसीबत बनी हुई है।

बताते चलें, कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुये दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार के अस्पतालों में एहतियातन कोरोना बार्डों का विस्तार किया गया था, ताकि किसी भी कोरोना पीड़ित मरीज को इलाज के दौरान कोई दिक्कत ना हो। वहीं गैर कोरोना पीड़ित मरीजों को अस्पताल की पंगु व्यवस्था का सामना करना पड़ रहा है।

आलम ये है कि अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड से लेकर एक्सरे, एमआरआई सहित अन्य जांचों के लिये भटकना पड़ रहा है।लोकनायक अस्पताल, जीटीबी अस्पताल और एम्स में गैर कोरोना रोगी को इलाज कराने में मुशीबत का सामना करना पड़ रहा है।

एम्स इलाज कराने आये उत्तर प्रदेश के बांदा जिला के अमित कुमार ने बताया कि उनका इलाज नेफ्रो में चल रहा है। कोरोना आने के बाद कुछ समय के लिये तो डाँक्टरों ने कहा कि अस्पताल में आने से बचना । लेकिन जो जांचे डाँक्टरों ने लिखी है उनका अब क्या होगा। जांच की डेट लेने के लिये चक्कर लगा रहे है।

इसी तरह अन्य मरीजों ने बताया कि कोरोना के चलते तामाम जांचों में बिलम्व के कारण उनका रोग बढ़ता जा रहा है।इसी तरह लोक नायक अस्पताल और जीटीबी अस्पताल में यही हाल है। यहां के स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बताया कि एक तो स्वास्थ्य सेवायें लचर है। उस पर प्रशासन की अनदेखी की चलते मरीजों को सही समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है।

लोकनायक अस्पताल के एक वरिष्ठ डाँक्टर ने बताया कि कोरोना के साथ अन्य रोगों का इलाज जारी रहना चाहिये ताकि, कोई भी मरीज इलाज के अभाव ने परेशान न हो। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। जो मरीजों के लिये ठीक नहीं है।

आयोग ने दलों का आग्रह माना, पंजाब विधानसभा चुनाव अब 20 फरवरी को

चुनाव आयोग ने सोमवार को एक बैठक कर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और अन्य राजनीतिक दलों का यह आग्रह स्वीकार कर लिया कि गुरु रविदास जयंती  चलते मतदान की तारीख कुछ आगे खिसका दी जाए। अब पंजाब में 14 फरवरी की जगह 20 फरवरी को वोट पड़ेंगे।

याद रहे पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के राज्य विधानसभा चुनाव कुछ आगे खिसकाने के आग्रह पर चुनाव आयोग से किया था। इसे लेकर सोमवार को आयोग ने एक बैठक करके इसपर विचार किया। आयोग ने अब पंजाब में मतदान के लिए नई तारीख का ऐलान किया है। यह चुनाव अब 20 फरवरी को होगा।

चुनाव आयोग ने पंजाब की 117 विधानसभा सीटों के लिए एक ही चरण में 14 फरवरी को मतदान होना तय किया  था। मुख्यमंत्री चन्नी ने चुनाव आयोग को चिट्टी लिखकर सुझाव दिया था कि 14 फरवरी को होने वाले मतदान को गुरु रविदास जयंती को ध्यान में रखते हुए कम से कम छह दिन के लिए टाल दिया जाए। मतदान की तारीख़ के दो दिन बाद 16 फ़रवरी को रविदास जयंती है।

चन्नी ने अपने पत्र में आयोग को लिखा था कि अनुसूचित जाति समुदाय के प्रतिनिधियों, जिसमें पंजाब की आबादी का 32 प्रतिशत शामिल है, ने उन्हें बताया कि रविदास जयंती की वजह से बड़ी संख्या में समुदाय के लोग 10 से 16 फरवरी को वाराणसी जाते हैं। ऐसी स्थिति में कई लोग वोट नहीं डाल पाएंगे, और इस तरह वे अपने  संवैधानिक अधिकार से वंचित हो जाएंगे।

अब आज चुनाव आयोग एक बैठक की जिसमें चन्नी के आग्रह पर विचार किया गया।  पूर्व मुख्यमंत्री  अमरिंदर सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस, पंजाब भाजपा और आम आदमी पार्टी ने भी इसी कारण से चुनाव कुछ आगे खिसकाने का आग्रह आयोग से किया था।

पंजाब के सीएम के चुनाव खिसकाने के आग्रह पर आयोग का फैसला आज

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के राज्य विधानसभा चुनाव कुछ आगे खिसकाने के आग्रह पर चुनाव आयोग आज (सोमवार) विचार करेगा। आयोग इस मामले पर चर्चा करके दोपहर में कभी अपना फैसला सुना सकता है।

चुनाव आयोग ने पंजाब की 117 विधानसभा सीटों के लिए एक ही चरण में 14 फरवरी को मतदान होना तय किया है। मुख्यमंत्री चन्नी ने चुनाव आयोग को चिट्टी लिखकर सुझाव दिया 14 फरवरी को होने वाले मतदान को गुरु रविदास जयंती को ध्यान में रखते हुए कम से कम छह दिन के लिए टाल दिया जाए। मतदान की तारीख़ के दो दिन बाद 16 फ़रवरी को रविदास जयंती है।

चन्नी ने अपने पत्र में आयोग को लिखा कि अनुसूचित जाति समुदाय के प्रतिनिधियों, जिसमें पंजाब की आबादी का 32 प्रतिशत शामिल है, ने उन्हें बताया कि रविदास जयंती की वजह से बड़ी संख्या में समुदाय के लोग 10 से 16 फरवरी को वाराणसी जाते हैं। ऐसी स्थिति में कई लोग वोट नहीं डाल पाएंगे, और इस तरह वे अपने  संवैधानिक अधिकार से वंचित हो जाएंगे।

अब आज चुनाव आयोग एक बैठक कर रहा है जिसमें चन्नी के आग्रह पर विचार किया जाएगा। दोपहर तक आयोग का फैसला सामने आ सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री  अमरिंदर सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस, पंजाब भाजपा और आम आदमी पार्टी ने भी इसी कारण से चुनाव कुछ आगे खिसकाने का आग्रह आयोग से किया है। ऐसे में सम्भावना है कि आयोग इस आग्रह को स्वीकार कर सकता है।

उत्तराखंड मंत्रिमंडल से बर्खास्त मंत्री हरक रावत शामिल होंगे कांग्रेस में

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से कड़ा मुकाबला झेल रही भाजपा को झटके पर झटके लग रहे हैं। पार्टी ने बगावती सुर दिखाने वाले जिन मंत्री हरक सिंह रावत को पार्टी से कल रात बाहर किया है, वह कांग्रेस में जा रहे हैं। हरक सिंह रावत ने कहा है कि उत्तराखंड चुनाव में कांग्रेस पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है। चर्चा है कि भाजपा के कुछ और विधायक भी कांग्रेस में जाने की फिराक में हैं।

भाजपा ने जहाँ हरक सिंह रावत को पार्टी से बाहर किया वहीं मुख्यमंत्री धामी ने उससे पहले ही उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर करने में देर नहीं की। अब हरक सिंह रावत ने कहा है कि वे बिना शर्त कांग्रेस के लिए काम करने को तैयार हैं। चर्चा है कि उत्तराखंड में भाजपा के कुछ और विधायक भी कांग्रेस में जाने की फिराक में हैं।

भाजपा से बाहर होते ही रावत ने कहा – ‘भाजपा को मैं ऊपर से नीचे तक जानता हूं। पिछले पांच साल में ये लोग कुछ नहीं कर सके। न रोजगार दिया न विकास किया। महंगाई आसमान छू रही है। हमें उन्हें कुछ न कुछ आरोप लगाकर निकालना ही था। जिनके घर शीशे के होते हैं, उन्हें दूसरों पर पत्थर नहीं मारने चाहिए।’

रावत के मुताबिक वे दो दिन पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिले थे और उन्हें  बताया था कि वे चुनाव लड़ने के प्रति इच्छुक नहीं। हालांकि, पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। रावत ने इस बात से साफ़ इनकार किया कि वे बहू अनुकृति के लिए लैंसडौन हलके से टिकट मांग रहे थे।

अपने कथक से दुनिया को मंत्रमुग्ध करने वाले बिरजू महाराज का निधन

दुनिया भर को अपने कथक नृत्य से मंत्रमुग्ध कर देने वाले पद्म विभूषण से सम्मानित बिरजू महाराज (पंडित ब्रजमोहन मिश्र) का रविवार देर रात निधन हो गया। ‘पंडित’ जी और ‘महाराज जी’ के नाम से भी मशहूर रहे बिरजू महाराज (83) का निधन दिल का दौरा पड़ने से तब हुआ जब अचानक सांस दिक्कत के बाद वे अचेत हो गए और अस्पताल ले जाने पर डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। कला जगत की बड़ी हस्तियों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।

हाल तक किडनी की समस्या झेल रहे बिरजू महाराज की मृत्यु को लेकर उनके पोते स्‍वरांश मिश्रा ने फेसबुक पोस्‍ट डाली है। स्‍वरांश ने लिखा – ‘गहरे दुख के साथ हमें बताना पड़ रहा है कि आज हमने अपने परिवार के सबसे प्रिय सदस्य पंडित बिरजू जी महाराज को खो दिया। उन्होंने 17 जनवरी को अंतिम सांस ली। उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।’

उनकी पौत्री रागिनी महाराज ने भी एक पोस्ट में बताया कि ‘बिरजू महाराज का पिछले एक माह से इलाज चल रहा था। उन्‍हें रविवार देर रात 12:15 बजे और 12:30 बजे के बीच सांस लेने में तकलीफ हुई जिसके बाद उन्‍हें 10 मिनट में अस्‍पताल ले जाया गया। लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।’

जानी मानी हस्तियों ने बिरजू महाराज के निधन पर शोक जताते हुए कहा है कि  पंडित बिरजू महाराज के निधन से भारतीय कला जगत ने अपने एक अनूठे कलाकार को खो दिया है। गायक अदनान सामी ने उनके निधन पर लिखा – ‘हमने कला के क्षेत्र में एक अद्वितीय संस्थान खो दिया है।’ बिरजू महाराज को देश के शीर्ष कथक नर्तकों  में एक माना जाता था। उनका संबंध कथक साधना वाले महाराज परिवार से रहा है।

उनके पिता और गुरु अच्छन महाराज हिंदुस्तानी क्लासिकल म्यूजिक के बड़े कलाकार थे। बिरजू के चाचा शंभू महाराज और लच्छू महाराज भी कथक कलाकार थे। कथक नृत्य के जरिए सामाजिक संदेश देने के लिए बिरजू महाराज को हमेशा याद किया जाएगा। बिरजू महाराज का जन्‍म 4 फरवरी, 1938 को लखनऊ में हुआ था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई जानी मानी हस्तियों ने बिरजू महाराज के निधन पर शोक जताया है। पीएम ने ट्विटर पर लिखा – ‘भारतीय नृत्य कला को विश्वभर में विशिष्ट पहचान दिलाने वाले पंडित बिरजू महाराज जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है. उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है. शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं. ओम शांति!’

बसपा और कांग्रेस लगी जमीनी पकड़ बनाने में

उत्तर प्रदेश में चुनावी रण सज चुका है। आरोप- प्रत्यारोप का दौर चर रहा है। प्रदेश की राजनीति में जिस प्रकार चुनावी हवा चल रही है। उससे तो ये लगता है। कि चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच ही कड़ा मुकाबला होगा।

लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकार प्रमोद शर्मा का कहना है कि कई बार राजनीति में जो दिखता है। अक्सर वैसा होता नहीं है। क्योंकि मतदाता के रूख को भांप-पाना कठिन होता है। सपा और भाजपा दोनों दल आत्मविश्वास से भरे है। इन दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में इसी बात लेकर देखा जा सकता है कि वे दावे कर रहे है कि उनकी ही पार्टी की सरकार बनेगी।

प्रमोद शर्मा का कहना है कि, जिस प्रकार भाजपा को छोड़ कर सपा में शामिल होने की जो छड़ी लगी है। चुनाव के ऐन वक्त पर अगर सपा को छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं का तांता लग जाये तो कुछ कहा नहीं जा सकता है। क्योंकि मौजूदा राजनीति के दौर में सब कुछ संभव है।

जिस प्रकार पार्टी कार्यकर्ता से लेकर आलाकमान तक अभी तक भाजपा को छोड़कर जाने वालों पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे है। उससे सियासी अनुमान तो ये लगाया जा सकता है। कि आने वाले दिनों कुछ बदलाव देखा जा सकता है।

रहा सवाल कांग्रेस और बसपा का तो ये दोनों दल मौके की तलाश में है। जानकारों का कहना है कि अगर कांग्रेस और बसपा चुनावी में 50 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करती है। तो सरकार भी बदली –बदली सी नजर आयेगी। ऐसे में कुछ साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि जीत का परचम किस पार्टी का लहराएगा। इसलिये बसपा और कांग्रेस पार्टी भले ही सपा और भाजपा के मुकाबले मीडिया में नहीं दिख रही है। लेकिन जनता में पकड़ बनाने में लगी है।

सुरक्षा में सेंध… विश्वास की कमी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में भयावह चूक, जिसके कारण उनका क़ाफ़िला पंजाब के फ़िरोज़पुर के पास राष्ट्रीय शहीद स्मारक और एक जनसभा स्थल के रास्ते में एक पुल पर क़रीब 20 मिनट तक फँसा रहा; एक बहुत गम्भीर मामला है। यह इसलिए भी गम्भीर है, क्योंकि यह ‘ब्लू बुक’ के तहत ज़रूरी केंद्रीय एजेंसियों, विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) और राज्य पुलिस बल से जुड़े बहुस्तरीय सुरक्षा प्रोटोकॉल के बावजूद हुआ। प्रधानमंत्री की सुरक्षा के चार घटकों में विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) या आंतरिक रिंग, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) या बाहरी रिंग; स्थानीय पुलिस, जो मार्ग के साथ रसद और सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार है; के साथ-साथ इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) भी शामिल है, जो ख़तरे का आकलन करता है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए एक आकस्मिक योजना हमेशा मौसम की रिपोर्ट को ध्यान में पहले से तैयार रहती है, ताकि अगर प्रधानमंत्री उड़ान नहीं भर सकें, तो सड़क से एक वैकल्पिक मार्ग पूरी तरह साफ़ रखा जा सके। एसपीजी का प्राथमिक कार्य प्रधानमंत्री को निकटवर्ती सुरक्षा प्रदान करना है और यह राज्य पुलिस की ज़िम्मेदारी है कि वह समग्र सुरक्षा सुनिश्चित करे।

विडम्बना यह है कि ज़िम्मेदारी तय करने के बजाय पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने घटना के दो दिन बाद अपने एक ट्वीट में सरदार वल्लभभाई पटेल को उद्धृत करते हुए उपहास के अंदाज़ में कहा- ‘जो कर्तव्य से अधिक जीवन की परवाह करता है, उसे कोई बड़ी ज़िम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए।’ यह स्पष्ट है कि पंजाब सरकार प्रधानमंत्री को सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करने के अपने संवैधानिक दायित्व को पूरा करने में विफल रही और वर्तमान घटना राज्य सरकार और उसके पुलिस बल की ख़राब छवि सामने लाती है। सर्वोच्च न्यायालय की तरफ़ से इस सुरक्षा चूक की जाँच के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने के एक दिन बाद पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी ने 13 जनवरी को देश में कोरोना की स्थिति का जायज़ा लेने के लिए प्रधानमंत्री के साथ अपनी आभासी बैठक (वर्चुअल मीटिंग) के दौरान इस घटना पर ख़ेद व्यक्त किया और प्रधानमंत्री की लम्बी उम्र की कामना की।

हालाँकि प्रधानमंत्री के जीवन के लिए ख़तरे को सड़क पर विरोध-प्रदर्शन करके नया मोड़ देने की कोशिशों से इस महत्त्वपूर्ण मसले की गम्भीरता को ही चोट पहुँची है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा को राजनीतिक विचारों या व्यक्तित्वों से परे रखना चाहिए; क्योंकि प्रधानमंत्री की सुरक्षा दलगत राजनीति से ऊपर है। लेकिन चुनाव की पूर्व संध्या पर इसे एक समुदाय विशेष को कलंकित करके एक मनोवैज्ञानिक लाभ या सहानुभूति बटोरने के लिए इस्तेमाल किये जाने की कोशिशें भी नाकाम हो गयी लगती हैं। इस घटनाक्रम से सबसे ज़्यादा परेशान किसान हैं, जो इसे समुदाय को बदनाम करने के लिए एक षड्यंत्र के रूप देखते हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोप भी लगाया कि बिना किसी कारण के पंजाब राज्य और किसानों को इस घटना के लिए दोषी ठहराया गया है। हालाँकि विरोध करने वाले किसानों ने कभी भी प्रधानमंत्री के क़ाफ़िले की ओर जाने का कोई प्रयास नहीं किया। पंजाब में हुई चूक को ‘महामृत्युंजय जाप’ करके प्रधानमंत्री को नुक़सान पहुँचाने की साज़िश के रूप में या राज्य में चुनी हुई सरकार द्वारा जानबूझकर प्रधानमंत्री को ख़तरे में डालने की साज़िश के रूप में पेश करना निहायत ही ग़लत है। यह घटनाएँ पाँच राज्यों में महत्त्वपूर्ण विधानसभा चुनावों से पहले केंद्र और राज्य के बीच एक गम्भीर स्तर के अविश्वास का भी संकेत करती हैं। इस तरह इस विषवमन बन्द होना चाहिए।