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राजस्थान के बड़े गुर्जर नेता कर्नल बैंसला का निधन

राजस्थान में गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के बड़े नेता रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला  का गुरुवार को निधन हो गया। वो काफी समय से बीमार थे। उन्हें उनके साथी ‘गुर्जर गांधी’ के नाम से जानते थे।

केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने गुर्जर नेता के निधन पर शोक जताते हुए अपने ट्वीट में कहा – ‘कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन का समाचार दुखद है।  समाज सुधार और समाज को संगठित करने में आपका योगदान हमेशा याद रहेगा।’

कई मंत्रियों और पूर्व मंत्रियों ने बैंसला के निधन को गुर्जर समाज के लिए बड़ी क्षति बताया है। इन नेताओं ने कहा कि गुर्जर नेता चले गए, इससे बड़ा दुख गुर्जर समाज के लिए हो नहीं सकता। उन्होंने कहा कि बैंसला ने पिछड़े वर्ग और गुर्जर समाज के लिए चेतना जगाने का काम किया। हमेशा उनके मन में गुर्जर समाज के भले की चिंता रहती थी।

गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के साथ हो सकते है एमसीडी के चुनाव

इसी साल दिसम्बर माह में होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के साथ दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव हो सकते है। एमसीडी चुनाव को लेकर दिल्ली में सियासी पारा गर्म रहा है। लेकिन 30 मार्च को संसद से मुहर लगने के बाद ये स्पष्ट हो गया है। कि एमसीडी की तीनों जोनों को हटाकर एक जोन किया जायेगा। और 272 निगम पार्षद की सीटों की जगह अब 250 सीटों पर ही चुनाव होंगे। 250 सीटों का जब परिसीमन हो जायेगा।
तब चुनाव की प्रक्रिया व चुनाव चुनाव की तारीख के बारे में पता चलेंगा। चुनाव में देरी और तीनों जोनों की जगह एक जोन का किया जाना और 272 की जगह 250 सीटों पर चुनाव कराने जाने के पीछे की बस एक ही  सियासत है कि एमसीडी के चुनाव की आड़ में आप पार्टी को गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कैसे रोका जाये। ताकि आप पार्टी दिल्ली की सियासत में फंस कर रह जाये।दिल्ली की राजनीति के जानकार राजन कुमार का कहना है कि कोई भी सत्ता धारी दल हो वो अपनी राजनीति अपने तरीके से करता है। जिसमें उसका और उसकी पार्टी का भला हो। क्योंकि आप पार्टी की सियासत का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है।
ऐसे में सियासी दांव -पेंच में आप पार्टी का उलझाकर रोकना जरूरी है। अन्यथा क्या फर्क पड़ता है 250 सीटों और 272 सीटों में।ये सब सियासी खेल है। क्योंकि आप पार्टी ने फ्री की राजनीति कर सब कुछ फ्री -फ्री की सुविधायें देकर अपनी राजनीति चमका रहे है। ऐसे मे आप पार्टी को रोकने के लिये ये सियासी खेल खेला गया है। भाजपा भली -भाँति जानती है जहां पर कांग्रेस का वोट बैंक है वहां पर आप पार्टी को चुनाव में जीत आसानी से हो रही है। क्योंकि कांग्रेसका जनाधार धीरे -धीरे खिसक रहा है।  

पाकिस्तान: इमरान गए तो शाहबाज शरीफ बन सकते हैं अगले पीएम !

सेना प्रमुख जनरल बाजवा से मिलने के बाद राष्ट्र को अपना संबोधन टालने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थक भले कह रहे हों कि अविश्वास प्रस्ताव पर उनके नेता ‘अंतिम समय तक’ लड़ेंगे, पड़ौसी मुल्क के राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि इमरान खान का जाना लगभग तय है। यदि इमरान खान जाते हैं तो उनकी जगह विपक्ष के सबसे वरिष्ठ नेता और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के अध्यक्ष शाहबाज शरीफ नए प्रधानमंत्री बन सकते हैं ! पंजाब के मुख्यमंत्री रहे शाहबाज पूर्व पीएम नवाज़ शरीफ के भाई हैं।

एमक्यूएम के विपक्ष के साथ चले जाने के बाद पहले ही नैशनल असेंबली के निचले सदन में बहुमत खो चुके इमरान खान को लेकर पाकिस्तान में कयास जारी हैं। उनके खिलाफ 3 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होने की संभावना है। हो सकता है कि अपनी हार की संभावना दिखने पर इमरान उससे पहले सदन में इस्तीफे की घोषणा कर दें या फिर बहुमत लायक सदस्यों को अपने पक्ष में जुटाने की कोशिश करें, जिसकी संभावना कम दिख रही है।

पिछले कल इमरान खान देश को संबोधित करने वाले थे लेकिन देश के सेना प्रमुख जनरल बाजवा से मुलाक़ात के बाद उन्होंने इसका विचार टाल दिया। फिलहाल अभी यह तय नहीं कि वे देश को संबोधित कब करेंगे।

इस बीच पाकिस्तान में विपक्षी दलों ने साझे रूप से एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके इमरान खान की सरकार जाने की ज़रुरत जताते हुए कहा कि ये देश के भविष्य से जुड़ी बात है। नेशनल एसेंबली में इमरान ख़ान सरकार के ख़िलाफ़ 28 मार्च को जो अविश्वास प्रस्ताव रखा गया था उसपर आज से चर्चा शुरू हो रही है और संभावना है कि 3 अप्रैल को उसपर मतदान होगा।

अभी तक की संभावना के मुताबिक यदि इमरान खान की सत्ता से विदाई होती है तो पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ देश के नए प्रधानमंत्री बन सकते हैं। शाहबाज इस समय विपक्ष के नेता हैं। वे पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के अध्यक्ष भी हैं। उन्हें कमोवेश सभी विपक्षी दलों का समर्थन मिल सकता है क्योंकि वे सभी इमरान खान की सरकार के सख्त खिलाफ हैं। बिलावल भुट्टो ज़रदारी की पार्टी पीपीपी भी इमरान खान का जबरदस्त विरोध कर रही है।

पाकिस्तान में महंगाई बढ़ने से लेकर दर्जनों समस्यायों ने जनता का जीना मुश्किल कर दिया है। इमरान खान जिस ‘नए पाकिस्तान’ का सपना लेकर सत्ता में आए थे, उसकी दूर-दूर तक कोई झलक नहीं दिखती। उलटे जनता की हालत खराब हो चुकी है।

जहाँ तक शाहबाज शरीफ की बात है यदि वे सत्ता में आते हैं तो भारत के साथ मुद्दों को लेकर बातचीत का दौर शुरू हो सकता है, जो लगभग ठप पड़ चुका है। यहाँ यह बताना भी ज़रूरी है कि नरेंद्र मोदी जब भारत के प्रधानमंत्री बने थे तब उन्होंने पाकिस्तान के पीएम नवाज़ शरीफ को भी अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया था।  यही नहीं एक बार अफगानिस्तान से भारत वापस लौटते हुए मोदी अचानक नवाज़ शरीफ से मिलने पाकिस्तान पहुँच गए थे। ऐसे में शाहबाज सत्ता में आते हैं तो भारत-पाक के बीच बातचीत का दौर शुरू हो।

शाहबाज को एक मझा हुआ प्रशासक माना जाता है और पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में वे अफसरशाही पर मजबूत पकड़ दिखा चुके हैं। सेना से भी उनके संबंध आम तौर पर सामान्य रहे हैं, हालांकि, उन्हें अपने फैसलों में हस्तक्षेप पसंद नहीं रहा है।

देश के बड़े उद्योगपति घराने से ताल्लुक रखने वाले शाहबाज धनशोधन के एक मामले में जेल भी जा चुके हैं। वैसे तीन बार पंजाब का मुख्यमंत्री रहने वाले शाहबाज वर्तमान में देश के सबसे अनुभवी नेता हैं और उन्हें पूरे विपक्ष का समर्थन है।

महंगाई, बेरोजगारी को लेकर राहुल गांधी का पीएम पर तीखा कटाक्ष

देश में लगातार बढ़ रही महंगाई को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को  जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। इसमें राहुल ने कहा है कि महंगाई बढ़ने से लोगों की दिक्क़तें बढ़ रही हैं, लेकिन पीएम मोदी को इसकी कोई फ़िक्र नहीं है।

गांधी ने महंगाई और बेरोजगारी पर पीएम  मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाना, सरकारी कंपनियों को बेचना और किसानों को लाचार करना उनका रोजमर्रा का काम हो गया है।

उन्होंने ट्वीट में लिखा – ‘प्रधानमंत्री की रोजना के कामों की सूची : पेट्रोल-डीज़ल-गैस का रेट कितना बढ़ाऊं, लोगों की खर्चे पे चर्चा कैसे रुकवाऊं, युवाओं को रोज़गार के खोखले सपने कैसे दिखाऊं, आज किस सरकारी कंपनी को बेचूं, किसानों को और लाचार कैसे करूं।’

याद रहे हाल के 10 दिनों में पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में आशातीत बढ़ौतरी हुई है। आज भी पेट्रोल की कीमत में 80 पैसे प्रति लीटर बढ़ोतरी हुई है। पिछले नौ दिन में 5.60 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो चुकी है।

राहुल गांधी का ट्वीट –
@RahulGandhi
प्रधानमंत्री की Daily To-Do List
1. पेट्रोल-डीज़ल-गैस का रेट कितना बढ़ाऊँ
2. लोगों की ‘खर्चे पे चर्चा’ कैसे रुकवाऊँ
3. युवा को रोज़गार के खोखले सपने कैसे दिखाऊं
4. आज किस सरकारी कंपनी को बेचूँ
5. किसानों को और लाचार कैसे करूँ

#RozSubahKiBaat

ईंधन के बढ़ते दामों को लेकर लोगों के बीच अलग-अलग मतभेद 

अजीब विडम्बना है एक ओर तो लोग बढ़ती महंगाई, डीजल-पेट्रोल और गैस के दामों से परेशान है। वहीं कुछ लोग ऐसे है जो पेट्रोल-डीजल और गैस के बढ़ते दामों को लेकर कह रहे है कि कई बार महंगाई देश हित में होती है। जो देश के विकास के काम आती है। वहीं ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि बढ़ते ईंधन के दामों से उनके ट्रांसपोर्टरों का काम-धंधा पूरी तरह से ठप हो सकता है।
ट्रांसपोर्टर दर्शन सिंह जत्थेदार का कहना है कि सरकार को भली-भांति मालूम है कि डीजल के दाम बढ़ने से हर सेक्टर में महंगाई का असर दिखता है। लेकिन सरकार ट्रांसपोर्टरों के किराया-भाड़ा बढ़ाने में आना-काना करती है। जिससे ट्रांसपोर्टरों को काफी परेशानी होती है। अगर सरकार ने ट्रांसपोर्टरों की मांग को नहीं माना तो आने वाले दिनों में कभी भी ट्रक वाले हड़ताल कर सकते है।
वहीं दिल्ली में कुछ लोग ऐसे भी है उनका कहना है कि यूक्रेन -रूस के युद्ध के कारण महंगाई का असर दिख रहा है। कोरोना काल में सरकार ने जनता की जरूरतों को पूरा किया है। तब देश की आर्थिक हालत कमजोर हुई है। लेकिन सरकार ने जनहित में काम किया है। अब-जब सारे देश में डीजल-पेट्रोल के दामों में इजाफा हो रहा है। तो भारत में ईंधन के दामों में बढ़ोत्तरी होना लाजिमी है।लोगों का कहना है कि देश के विकास के लिये कुछ वस्तुओं के दाम बढ़ रहे है। तो इसमें क्या बुरा है।आर्थिक मामलों के जानकार सचिन का कहना है कि यह बात तो सही है कि देश-दुनिया में यूक्रेन -रूस युद्ध के चलते महंगाई बढ़ रही है।
सचिन का कहना है कि पांच राज्यों के चुनाव के चलते ईंधन के दामों में बढ़ोत्तरी नहीं की गई थी। लेकिन अब चुनाव हो गये है। तो हर रोज महंगाई होगी। जिसका नतीजा ये होगा कि गरीब वर्ग के लोगों को अपना जीवन यापन करना मुश्किल होगा।  

केंद्रीय कर्मचारियों का डीए तीन फीसदी बढ़ा, अब 34 फीसदी

बढ़ती महंगाई के बीच केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए बुधवार को महंगाई भत्ते (डीए) में तीन फीसदी बढ़ौतरी की घोषणा की है। यह फैसला केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में किया गया।

केंद्रीय कर्मचारियों का डीए अब 31 फीसदी से बढ़कर 34 फीसदी हो गया है। यह एक जनवरी 2022 से लागू होगा। इससे करीब 47.68 लाख कर्मचारियों की अलावा 68.62 लाख पेंशनर्स को भी फायदा होगा। सरकार के इस फैसले से सरकारी खजाने पर हर साल 9544.50 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

डीए में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद अब (उदहारण के लिए) 18,000 रुपये के मूल वेतन (बेसिक सैलरी) पर महंगाई भत्ता 6120 रुपये हो जाएगा। इसी तरह अधिकतम सैलरी स्लैब वाले कर्मचारियों का डीए बढ़कर 19346 रुपये प्रति माह हो जाएगा।

यहाँ यह बता दें कि लॉक डाउन के चलते केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को 18 महीने यानी पहली जनवरी, 2020 से 30 जून, 2021 के बीच डीए का भुगतान नहीं किया था, जिसकी अदायगी की कर्मचारी मांग कर रहे हैं।

केजरीवाल के आवास पर भाजपाइयों ने सीसीटीवी कैमरे तोड़े : सिसोदिया

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और आप नेता मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया है कि पुलिस की मौजूदगी में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के आवास पर तोड़फोड़ की गयी है। एक ट्वीट में सिसोदिया ने कहा कि भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सीएम के आवास पर हमला करके सीसीटीवी कैमरे और सुरक्षा बैरियर तोड़ दिया।

सिसोदिया ने ट्वीट में कहा कि जब यह घटना हुई पुलिस वहां मौजूद थी। उन्होंने कहा कि इस हमले में मुख्यमंत्री के घर के बाहर लगे सिक्योरिटी बैरियर और सीसीटीवी के अलावा बूम बेरियर तोड़े गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस हमले में कथित तौर पर भाजपा नेता और कार्यकर्ता शामिल थे।

बता दें भाजपा कार्यकर्ताओं ने आज सीएम केजरीवाल के खिलाफ प्रदर्शन किया।  भाजपा का यह प्रदर्शन कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को लेकर केजरीवाल टिप्पणी  की एक टिप्पणी विरोध में किया गया। इस प्रदर्शन के बाद ही तोड़फोड़ की यह घटना सामने आई है।

इस घटना के बाद आप नेता संजय सिंह ने एक ट्वीट करके कहा  – ‘लोकप्रिय मुख्यमंत्री @ArvindKejriwal जी के आवास पर भाजपाई गुंडे हमला कर देते है और दिल्ली पुलिस उन्हें रोकने की जगह उनके साथ खड़ी दिखती है। भाजपाइयो याद रखना सबका हिसाब लिया जाएगा, ये लोकतंत्र है यहां जनता वक़्त आने पर तुम्हे वोट की लाठी से पीटेगी।’

मनीष सिसोदिया का ट्वीट –
‘दिल्ली में मुख्यमंत्री @ArvindKejriwal जी के घर पर असामाजिक तत्वों ने हमला कर CCTV कैमरे और सिक्योरिटी बैरियर तोड़ दिए हैं। गेट पर लगे बूम बेरियर भी तोड़ दिए हैं।

बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में मोदी का एकजुटता और सहयोग पर जोर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि आज के समय में क्षेत्रीय सुरक्षा अब बेहद अहम हो गयी है। बंगाल की खाड़ी बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक) शिखर सम्मेलन में मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे की बिम्सटेक में भूमिका को सराहते हुए कहा कि उन्होंने पिछले दो साल में कुशल नेतृत्व दिया है।

बिम्सटेक की स्थापना के 25वें वर्ष के इस शिखर सम्मलेन में प्रधानमंत्री ने कहा – ‘हमारे आपसी व्यापार को बढ़ाने के लिए बिम्सटेक एफटीए प्रस्ताव पर शीघ्र प्रगति ज़रूरी है। हमें अपने देशों के उद्यमियों और स्टार्टअप्स के बीच आदान-प्रदान भी बढ़ाना चाहिए। हमें व्यापार सुविधा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों को अपनाने की भी कोशिश करनी चाहिए।’

मोदी ने कहा कि ‘आज जब हमारा क्षेत्र स्वास्थ्य और आर्थिक सुरक्षा की चुनौतियों का सामना कर रहा है। हमारे बीच एकजुटता और सहयोग समय की मांग है।’

क्षेत्रीय सुरक्षा को बहुत अहम बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पिछले दो साल के चुनौतीपूर्ण माहौल में राष्ट्रपति राजपक्षे ने बिम्सटेक को कुशल नेतृत्व दिया है, जिसके लिए मैं उनका अभिनंदन करता हूं। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण सम्मेलन के नतीजे बिम्सटेक के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय लिखेंगे, क्योंकि यह इसका 25वां स्थापना वर्ष भी है।

मोदी ने कहा – ‘आज के चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिपेक्ष से हमारा क्षेत्र भी अछूता नहीं रहा है। मारी अर्थव्यवस्थाएं, हमारे लोग, अभी भी कोविड-19 महामारी के दुष्प्रभावों के असर से प्रभावित हैं। यह महत्त्वपूर्ण कार्य समय और अपेक्षा के अनुरूप पूरा हो, इसके लिए भारत सचिवालय के ऑपरेशनल बजट को बढ़ाने के लिए एक मिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता देगा।’

पीएम ने कहा कि बिम्सटेक हमारी अपेक्षाओं को पूरा करे, इसके लिए सचिवालय की क्षमता को बढ़ाना भी महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने सुझाव दिया कि महासचिव इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए रोडमैप तैयार करें। मोदी ने कहा – ‘बिम्सटेक को अधिक  सक्रिय बनाने के लिए मैं आप सब का सहयोग चाहूंगा।’ सेंटर के काम दो दोबारा शुरू करने के लिए मोदी ने तीन  मिलियन डॉलर का योगदान देने की भी बात कही।

एमसीडी चुनाव को टाले जाने के पीछे की सियासत 

आखिरकार जिसका डर था वो ही बात अब सामने आने लगी है। दिल्ली के लिये सबसे महत्वपूर्ण दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव टाले जाने की संभावना दिन व दिन प्रबल होती जा रही है। वैसे ही एमसीडी चुनाव को लेकर मामला अदालत में विचाराधीन है। आप पार्टी ने तो साफ आरोप भाजपा पर लगाया है कि वो चुनाव में हार के डर के कारण चुनाव से दूर भाग रही है। इसलिये चुनाव को टाला जा रहा है।
बताते चलें चुनाव को टाले जाने को लेकर असल में बात कुछ और ही है। क्योंकि चुनाव में आप पार्टी के अलावा अन्य पार्टियों ने चुनाव से पूर्व एमसीडी की सभी सीटों पर सर्वे करवाया तो आप पार्टी के अलावा अन्य पार्टियों की काफी हालत पतली है। इसकी वजह साफ है। लोगों का मानना है कि एमसीडी में कांग्रेस और भाजपा को मौका दिया है। क्यों न एक बार आप पार्टी को मौका देकर देखा जाये।
दिल्ली में गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों के बीच आप पार्टी की अच्छी-खासी पकड़ है। साथ ही बड़े वर्ग के बीच भी पकड़ बनती जा रही है। ऐसे में दिल्ली में एमसीडी के चुनाव में आप पार्टी को जनता मौका देना चाहती है। दिल्ली एमसीडी के जानकार नलिनी सिंह का कहना है कि एमसीडी की राजनीति कहने को तो छोटी है लेकिन इसके सियासी मायने काफी बड़े है। एमसीडी के चुने हुये पार्षद किसी भी मामलें विधायक से कम नहीं है। जनता का सीधा संपर्क पार्षद से होता है। इसलिये अब चुनाव जब तक टाले जाने की संभावना है। जब तक आप पार्टी के विरोध में कोई राजनीतिक माहौल नहीं बन जाता है।
जानकारों का कहना है कि जब से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने ये कहा कि एमसीडी में  आप पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ जीत हासिल कर रही है। तब से विरोधी दलों में ये बड़ी बैचेनी है  क्योंकि केजरीवाल ने जब भी कुछ भी चुनाव को लेकर कहा है। तब कुछ न कुछ सियासी बदलाव सामने आये है।बताते चले दिल्ली में नेताओं का कहना है कि एमसीडी के चुनाव एक साल तक के लिये टाले जा सकते है। 

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एमएलसी चुनाव के बीच पार्टी के कई सदस्यों को किया बर्खास्त

समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गाजीपुर में एमएलसी चुनाव की गहमागहमी के बीच मंगलवार को सपा का विरोध करने पर पार्टी के पूर्व एमएलसी कैलाश सिंह और गाजीपुर के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष विजय यादव समेत कई अन्य सदस्यों को पार्टी से बर्खास्त किया।

एमएलसी की 36 सीटों पर 9 अप्रैल को मतदान होना है और इसकी मतगणना 12 अप्रैल को होगी। इसी बीच अखिलेश यादव ने मंगलवार को पार्टी सहयोगी अपना दल (के), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) और राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के नेताओं के साथ बैठक भी की।

सूत्रों अनुसार, इस बैठक में उत्तर प्रदेश विधायक और अखिलेश के चाचा नेता शिवपाल यादव व अपना दल के नेता पल्लवी पटेल मौजूद नहीं रहें।

आपको बता दे हाल ही में उत्तर प्रदेश में 403 सीटों पर हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 255 सीटों पर जीत हासिल कर लगातार दूसरी बार सरकार बनाई है। जबकि समाजवादी पार्टी को 111 सीटों पर जीत हासिल हुई और वे मजबूत विपक्ष के रूप में ऊभरी।