Home Blog Page 246

छत्तीसगढ़ में पार्टी नेताओं पर ईडी के छापे को लेकर कांग्रेस का केंद्र पर वार कहा- डराने-धमकाने की राजनीति के आगे नहीं झुकेगी कांग्रेस

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कोयला लेवी मामले की जांच के तहत कांग्रेस विधायकों और पार्टी से जुड़े लोगों के आवास पर छापेमारी हुई है। छत्तीसगढ़ में कुल 10 से 12 ठिकानों पर छापेमारी हुई है। ईडी की छापेमारी के बाद कांग्रेस ने सोमवार को केंद्र सरकार की आलोचना की है।

दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस के संचार प्रमुख जयराम रमेश और मीडिया विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने आरोप लगाया है कि अब ‘लोकतंत्र को खत्म करना’ ही ईडी काम काम बन गया है।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि, वर्ष 2014 में केंद्र में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से ही प्रवर्तन निदेशालय ओवरड्राइव पर है। पवन खेड़ा ने कहा कि एजेंसी ने 2004 से 2014 के बीच जब यूपीए सत्ता में थी तो कुल 112 छापे मारे थे। इसके मुकाबले पिछले आठ वर्षों में ईडी ने 3010 छापे मारे थे। इनमें से 95 प्रतिशत विपक्षी राजनेताओं को निशाना बनाया गया था।

पवन खेड़ा ने कहा कि, ईडी ने 2014 के बाद से 24 बार कांग्रेस नेताओं को निशाना बनाकर छापेमारी की है। जबकि टीएमसी नेताओं को 19 बार निशाना बनाया गया, एनसीपी नेताओं को 11 बार, शिवसेना नेताओं को 8 बार, राजद नेताओं को 5 बार, टीडीपी नेताओं को 5 बार, बीजद नेताओं को 6 बार व अन्य कई नेताओं को निशाना बनाया गया है।

खेड़ा ने आगे कहा कि, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 2014 में करोड़ों रुपये के शारदा घोटाले के सिलसिले में हिमंत बिस्वा सरमा से जुड़े परिसरों पर छापा मारा था, लेकिन आज वह निष्पक्ष और प्यारे हैं क्योंकि वह असम के मुख्यमंत्री बन गए है। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ और शुभेंदु अधिकारी, बी एस येदियुरप्पा, रेड्डी बंधुओं, मुकुल रॉय के खिलाफ भी मामलों का क्या हुआ ? कई नाम हैं… वे सभी अब फेयर एंड लवली के ब्रांड एंबेसडर बन गए है।

जयराम रमेश ने कहा कि, कांग्रेस डराने-धमकाने की राजनीति के आगे झुकने वाली नहीं हैं। हम इसका डटकर मुकाबला करेंगे चाहे छापा पड़े। जहां छापेमारी की जरूरत हो सरकार वहां छापेमारी नहीं करती। ईडी को वहां खुला नहीं करती जहां इसकी जरूरत है। प्रधानमंत्री के चहेते उद्योगपति गौतम अडानी के बारे में जो खुलासे हो रहे हैं उनके खिलाफ कोई जांच नहीं, कोई छापेमारी नहीं, जेपीसी की मांग भी ठुकरा दी गई है।

शिवसेना चुनाव चिन्ह को बचाने के लिए ठाकरे गुट आज सुप्रीम कोर्ट में दायर करेगा याचिका

निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे को वास्तविक शिवसेना के तौर पर मान्यता देते हुए पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘धनुष बाण’ भी उसे दे दिया था। हालांकि इस फैसले से ठाकरे को झटका लगा ऐसा माना जा रहा है क्योंकि उनके पिता बाल ठाकरे ने 1966 में ‘धनुष बाण’ चिन्ह के साथ इस पार्टी की स्थापना की थी।

चुनाव आयोग के फैसले के बाद से महाराष्ट्र में सियासी घमासान मचा हुआ है। और ठाकरे गुट चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठा रहा है साथ ही नाम-निशान बचाने के लिए उद्धव ठाकरे गुट आज सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगा।

उद्धव ठाकरे ने आज दोपहर 12.30 बजे मुंबई के शिवसेना भवन में एक अहम बैठक बुलाई है। इसमे बैठक में सभी विधायकों और नेताओं के मौजूद रहने के भी कयास लगाए जा रहे है।

संजय राउत ने रविवार को दावा किया है कि शिवसेना पार्टी के नाम एवं निशान तीर-धनुष को खरीदने के लिए 2000 करोड़ रुपये का सौदा हुआ है। वहीं महाराष्ट्र के मंत्री और भाजपा नेता सुधीर मुंगतिवार ने राउत पर पलटवार करते हुए कहा कि, उच्चतम न्यायालय एवं निर्वाचन आयोग जैसे स्वतंत्र संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश के तहत ऐसे बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे है।

एकनाथ शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दाखिल कर अपील की गई है कि यदि उद्धव गुट चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देता है तो कोर्ट एकपक्षीय सुनवाई कर कोई आदेश पारित न करे और शिंदे गुट का पक्ष भी सुना जाए।

वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने इस मामले में कहा कि चुनाव आयोग के फैसले ने सत्यमेव जयते को चरितार्थ किया है इसी के साथ उद्धव पर निशाना साधते हुए बोले कि धोखा देने वालों को बख्शेंगे नहीं।

मौत के सौदागर

हाल में जब ताजिकिस्तान में ताजिक स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी से एक एमबीबीएस को ख़ुद को डॉक्टर के रूप में नामांकित करने के लिए विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा को पास करने के लिए एक प्रॉक्सी का उपयोग करते हुए पकड़ा गया। इससे ज़ाहिर होता है कि भारत में स्वास्थ्य प्रणाली बीमार क्यों है? लगातार छ: बार फेल होने वाला यह उम्मीदवार ऐसा करते हुए लगभग बच ही गया था; लेकिन जब फेस डिटेक्शन सिस्टम ने परीक्षा लेखक की तस्वीर में अंतर को चिह्नित किया, जिसे प्रतिरूपण के बदले एक बड़ी राशि दी गयी थी; तब वह पकड़ा गया। यह कुख्यात मामला करोड़ों रुपये के व्यावसायिक परीक्षा मंडल घोटाले जैसा ही था, जिसे व्यापम घोटाला के नाम से जाना जाता है। इसमें सीबीआई ने पाया था कि आरोपी उम्मीदवारों ने परीक्षा में बुद्धिमान छात्रों को सॉल्वर उम्मीदवारों के रूप में शामिल कर परीक्षा पास करने का एक अनोखा फ़र्ज़ी तरीक़ा ईजाद किया था, जिसमें लाभार्थी उनके उत्तरों की नक़ल करेंगे, जो उनके पीछे बैठेंगे।

सीबीआई ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद व्यापम घोटाले की जाँच अपने हाथ में ली थी और इसने राजनेताओं, वरिष्ठ अधिकारियों और व्यापारियों के गठजोड़ का भंडाफोड़ किया था। इसमें अब तक 1200 से अधिक अभियुक्तों के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दायर किया है, जिनमें से 55 की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो चुकी है। ‘तहलका’ ने आरोपों की गम्भीरता को देखते हुए फ़र्ज़ी डॉक्टरों के मामले की जाँच करने का फ़ैसला किया। हमारे विशेष जाँच दल द्वारा की गयी जाँच से ज़ाहिर होता है कि कैसे बिचौलियों ने विदेशी विश्वविद्यालयों से मेडिकल डिग्री वाले भारतीयों के लिए एक स्क्रीनिंग टेस्ट (एफएमजीई) को धोखा देने और पास करने में उम्मीदवारों की मदद की। लेकिन चिन्ता की बात यह है कि जो लोग परीक्षण में विफल हो जाते हैं, उनकी भारत में स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता संदेह के घेरे में होने के बावजूद उन्हें अस्पताल गुप्त रूप से काम पर रख लेते हैं। नतीजा, ये फ़र्ज़ी डॉक्टर बेख़ौफ़ लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं।

नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (एनबीए), जो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय है; फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट परीक्षा आयोजित करता है। यह उन भारतीय या विदेशी नागरिकों के लिए एक लाइसेंस परीक्षा है, जिन्होंने अन्य देशों से प्राथमिक चिकित्सा योग्यता पूरी की है। भारतीय चिकित्सा परिषद् के साथ पंजीकृत होने के लिए विदेशी चिकित्सा स्नातकों को एफएमजीई अर्हता प्राप्त करना आवश्यक है। हर साल रूस, यूक्रेन, चीन, फिलीपींस, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों के विदेशी विश्वविद्यालयों से मेडिकल डिग्री वाले हज़ारों भारतीय विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट परीक्षा में शामिल होते हैं। इनमें औसतन 20 प्रतिशत से कम परीक्षा उत्तीर्ण कर पाते हैं, और अन्य के पास अनुचित साधनों का उपयोग कर डॉक्टर बनने या फिर अपने सपने को भूलने का विकल्प बचता है। फिर कुछ ऐसे भी हैं, जो बिना एफएमजीई योग्यता प्राप्त किये डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं।

पिछले महीने सीबीआई ने देश भर में 91 स्थानों पर कई राज्य चिकित्सा परिषदों और विदेशी चिकित्सा स्नातकों की तलाशी ली, जिन्हें अनिवार्य परीक्षा उत्तीर्ण किये बिना भारत में डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस करने की अनुमति दी गयी थी। एजेंसी ने 14 राज्य चिकित्सा परिषदों और 73 विदेशी चिकित्सा स्नातकों के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज की, जिन्हें अनिवार्य विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण किये बिना भारत में चिकित्सा का अभ्यास करने की अनुमति दी गयी थी। हालाँकि ‘तहलका एसआईटी’ ने पाया है कि घोटाला इसके अनुपात में बहुत बड़ा है। दरअसल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि लगभग 10 लाख नीम-हकीम एलोपैथिक दवा का अभ्यास कर रहे हैं। क्या कोई सुन रहा है?

फर्जी डॉक्टर – जुगाड़ से डॉक्टर बनकर हजारों जिन्दगियों से खिलवाड़ कर रहे कुछ लोग

कहावत है- ‘नीम हकीम खतरा-ए-जान’। डॉक्टरी के पेशे में यह कहावत काफी चर्चित है और बहुतों पर सही बैठती है।‘तहलका’ की छानबीन से जाहिर होता है कि कैसे बिचौलिये उम्मीदवारों को धोखा देने और विदेशी मेडिकल स्नातक परीक्षा (एफएमजीई), जो विदेशी विश्वविद्यालयों से मेडिकल डिग्री वाले भारतीयों के लिए एक स्क्रीनिंग टेस्ट है; पास करने में मदद करते हैं। लेकिन ज्यादा चिन्ता की बात यह है कि जो लोग परीक्षा में विफल हो जाते हैं, उन्हें भी भारत में अस्पतालों द्वारा स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता को खतरे में डालते हुए चोरी से काम पर रख लिया जाता है। तहलका एसआईटी की जाँच रिपोर्ट :-

‘हमें परीक्षा से एक दिन पहले लीक हुए प्रश्न-पत्र हासिल हो जाएँगे। वे उम्मीदवार को कुछ अज्ञात स्थानों पर ले जाएँगे, और परीक्षा से एक रात पहले उसे दोनों प्रश्न-पत्र देंगे। वे अभ्यर्थी के प्रश्न-पत्र हल भी करवाएँगे। कम-से-कम 150 प्रश्न हल किये जाएँगे, जो परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए न्यूनतम आवश्यकता है। प्रश्न-पत्र हल करने के बाद अगले दिन परीक्षार्थी को परीक्षा केंद्र पर छोड़ देंगे। यदि परीक्षा का प्रश्न-पत्र लीक हुए प्रश्न-पत्र से मेल खाता है, तो परीक्षार्थी को परीक्षा के बाद उसी शाम 15 लाख रुपये का भुगतान करना होगा। लेकिन याद रहे, इन सबसे पहले उम्मीदवार को अपना मोबाइल फोन हमें सौंपना होगा। अन्यथा इस बात की सम्भावना है कि वह लीक हुए प्रश्न-पत्रों की तस्वीर क्लिक कर अपने दोस्तों को भेज सकता है, जिसके परिणामस्वरूप लीक हुआ प्रश्न-पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो जाएगा, जिससे हम परेशानी में घिर सकते हैं।‘ – यह बात राकेश भंडारी ने कही।

राकेश दिल्ली का एक बिचौलिया है, जो प्रति उम्मीदवार 15 लाख रुपये के बदले विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा (एफएमजीई) का लीक हुआ प्रश्न-पत्र उपलब्ध कराने का सौदा करने की धंधा कर रहा है।

मौजूदा नियमों के अनुसार, कोई भी छात्र जो विदेश में किसी संस्थान से चिकित्सा के लिए जाता है, उसे एक स्वायत्त निकाय, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) द्वारा वर्ष में दो बार आयोजित विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा (एफएमजीई) नाम की स्क्रीनिंग परीक्षा उत्तीर्ण करनी जरूरी होती है। भारत में चिकित्सा प्रैक्टिस करने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) या राज्य चिकित्सा परिषद् (एसएमसी) के साथ स्थायी पंजीकरण, जो अन्यथा अवैध माना जाएगा।

राकेश भंडारी कहते हैं कि सिक्किम भारत का एकमात्र राज्य है, जहाँ से वास्तविक उम्मीदवार के स्थान पर अन्य (डमी) उम्मीदवार परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। लेकिन यह एक जोखिम भरी बात है। मैं इस विकल्प के लिए नहीं जाना चाहता। अगर पकड़े गये, तो हमारी जिन्दगी बर्बाद हो जाएगी। ‘तहलका’ रिपोर्टर ने खुद को बिचौलिये की तलाश करने की कोशिश बताते हुए में एक जरूरतमंद के रूप में प्रस्तुत किया, जो अपने काल्पनिक उम्मीदवार को एफएमजीई करवाना चाहता है। राकेश भंडारी से रिपोर्टर दिल्ली के एक पाँच सितारा होटल में मिला।

हमने राकेश भंडारी को बताया कि हमारा उम्मीदवार ढाका, बांग्लादेश से एमबीबीएस स्नातक है, जो पहले प्रयास में भारत में अभ्यास करने के लिए एनएमसी से लाइसेंस प्राप्त करने के लिए अनिवार्य एफएमजीई परीक्षा को पास करने में विफल रहा था। इस पर राकेश भंडारी ने हमें तीन विकल्प दिये, जिसके माध्यम से वह 15 लाख रुपये के भुगतान के बदले में हमारे उम्मीदवार को एफएमजीई परीक्षा उत्तीर्ण करने में मदद कर सकता था। पहला, विकल्प परीक्षा से एक दिन पहले प्रश्न-पत्र लीक के माध्यम से; दूसरा, कंप्यूटर में हेराफेरी करके और तीसरा, उम्मीदवार के परीक्षा में फेल होने के बाद भी उसे पास करवाने का प्रबंध करने का था।

इन सबके लिए उम्मीदवार को एक रकम अदा करनी होगी। भुगतान परीक्षा के दिन किया जाना है; लेकिन पहले विकल्प में लीक हुए प्रश्न-पत्र के साथ प्रश्न-पत्र के मिलान के बाद। और यदि उम्मीदवार दूसरे या तीसरे विकल्प के लिए जाता है, तो परिणाम के बाद। भंडारी किसी को परीक्षा में उम्मीदवार के लिए प्रतिरूपण करने को सबसे जोखिम भरा विकल्प बताता है। उन्होंने हमें बताया कि वह उस विकल्प का उपयोग करने के खिलाफ था। उनके अनुसार प्रश्न-पत्र लीक होना सबसे अच्छा विकल्प है।

हर साल विदेशी विश्वविद्यालयों से मेडिकल डिग्री वाले हजारों भारतीय विदेशी मेडिकल स्नातक परीक्षा (एफएमजीई) के लिए उपस्थित होते हैं। यह राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) द्वारा आयोजित एक स्क्रीनिंग टेस्ट है और भारत में चिकित्सा का अभ्यास (प्रैक्टिस) करने के लिए किसी व्यक्ति की क्षमता का आकलन करने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (पहले मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) द्वारा अनिवार्य है। एनबीई के आँकड़ों के मुताबिक, औसतन उनमें से 20 फीसदी से भी कम इसे पास कर पाते हैं। रूस, यूक्रेन, चीन, फिलीपींस, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों के विदेशी मेडिकल स्नातकों को एफएमजीई पास करने के बाद ही भारत में अभ्यास करने की अनुमति दी जाती है।

हालाँकि यूएस, यूके, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड के एमबीबीएस स्नातकों को परीक्षा देने की जरूरत नहीं है। सन् 2019 में 25.79 फीसदी विदेशी स्नातकों ने एफएमजीई पास की, जबकि सन् 2020 में यह 14.68 फीसदी और सन् 2021 में 23.83 फीसदी ही था। सन् 2019 से पहले के वर्षों में यह आँकड़ा और भी कम था। फिर लगभग 80 फीसदी स्नातक इस परीक्षा में असफल होने के बाद क्या करते हैं? जबकि कुछ लोग चिकित्सा को आगे बढ़ाने और एक अलग करियर अपनाने के अपने सपने को छोड़ देते हैं, कुछ एफएमजीई को मंजूरी दिये बिना भारत में अवैध रूप से अभ्यास करते हैं, अन्य इससे चिपके रहते हैं; खासकर जब द्विवार्षिक एफएमजीई के लिए प्रयासों की संख्या पर कोई सीमा नहीं है।

‘तहलका’ ने कुछ विदेशी मेडिकल स्नातकों पर एक जाँच की जो एफएमजीई पास किये बिना अवैध रूप से भारत में अभ्यास कर रहे हैं (यह रिपोर्ट करने के समय)। और बिचौलिया भी, जो नकद भुगतान के बदले में अवैध तरीकों से एफएमजीई के लिए उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों को उत्तीर्ण नतीजा करवाने का वादा करता है।

‘तहलका’ ने सबसे पहले बिचौलिये राकेश भंडारी को पकड़ा, जिसने हमें बताया कि पिछले साल उसने एक कश्मीरी विदेशी एमबीबीएस स्नातक को अवैध तरी$के से एफएमजीई पास करने में मदद की थी, क्योंकि वह अतीत में कई प्रयासों के बावजूद इसे पास करने में विफल रहा था। भंडारी ने शेखी बघारते हुए कहा कि आखिर कैसे उसने 20 लाख रुपये लेकर इस उम्मीदवार को एफएमजीई के माध्यम से पास करा दिया।

भंडारी : एक तो खास आदमी है 4-5 चांस में पास ही नहीं हो रहा था।

रिपोर्टर : एफएमजीई में?

भंडारी : हाँ… उसको फिर एक झटके में करवा दिया मैंने पिछले साल।

रिपोर्टर : आपने करवाये एफएमजीई में पास?

भंडारी : हाँ…अभी शादी की, मुझसे शादी में दावत भी न दी, मुझे खुंदक आयी इतनी उस पर, परसों पता चला उसकी शादी भी हो गयी।

रिपोर्टर : कितना पैसा लिया आपने उससे?

भंडारी : रेट तो देखो निर्भर करता है। अगर डायरेक्ट आ गया, तो 20 लाख भी लेते हैं।

रिपोर्टर : ऑप्शन कौन-सा था, उसका पास होने का?

भंडारी : सारी चीजे नहीं बताते, पता क्या होता है ये सीक्रेसी वाला काम है। आप कितने दिनों से फोन कर रहे हो मिलने के लिए, मैंने आपसे क्या कहा। टाइम नहीं है; क्योंकि असल में क्या होता है, हमारे पास एक की जगह 10 आदमी खड़े होते हैं।

अब हमने राकेश भंडारी को एक काल्पनिक सौदा दिया कि हमारे पास ढाका, बांग्लादेश से एमबीबीएस की डिग्री वाला एक उम्मीदवार है, जो अपने पहले प्रयास में एफएमजीई पास करने में विफल रहा था और अब परीक्षा पास करने के लिए उसकी सेवाओं का लाभ उठाना चाहता है।

भंडारी ने तुरन्त हमें बताया कि वह परीक्षा से एक रात पहले हमारे परीक्षार्थी का प्रश्न-पत्र लीक करवा देगा। उसके आदमी परीक्षार्थी के प्रश्न-पत्र हल करेंगे। अगले दिन वे उम्मीदवार को परीक्षा केंद्र पर छोड़ देंगे। यदि लीक हुआ प्रश्न-पत्र परीक्षा केंद्र के प्रश्न-पत्र से मेल खाता है, तो परीक्षार्थी को परीक्षा के बाद उसी दिन शाम तक 15 लाख रुपये देने होंगे। भंडारी ने कहा कि वह किसी भी अनावश्यक विवाद से बचने के लिए उम्मीदवार का मोबाइल फोन अपने पास रखेंगे।

भंडारी : आप समझे नहीं मेरी बात। प्रश्न-पत्र का ऐसा सीन होता है, उसमें मेरे को भी नहीं पता होगा कि कब किस लोकेशन पर भेजा रहा होगा वो। सीक्रेट होता है। इसकी तलाश दो जगह करेगा। ये मोबाइल तो नहीं, कोई पेपर तो नहीं है।

रिपोर्टर : जब ये एग्जाम देने जाएगा?

भंडारी : हाँ, उससे पहले; क्योंकि एक दिन पहले मिलकर जाएगा। जानते तो नहीं हैं इसको? मतलब अगर इसके पास मोबाइल हो, ये फोटो खींचकर 10 लोगों को भेजे देगा। वायरल हो गया, तो फँस गये न वो…! वो क्या काम करते हैं? दिन में बुलाएँगे इसको, 11:00 बजे बुलाएँगे, एक जगह बुलाएँगे… मान लीजिए कि यहाँ बुला लिया, यहाँ से अपनी गाड़ी में ले जाएँगे। वो हमारी जिम्मेदारी रहेगी। यहाँ से लेकर दूसरी जगह ले जाएँगे, दूसरी जगह से तीसरी जगह ले जाएँगे, शाम को पेपर कहीं और होगा।

रिपोर्टर : शाम को पेपर?

भंडारी : शाम को पेपर दिखाएँगे उसको, रात में स्टडी करवा देंगे इसको। एक घंटे में थोड़ी हो पाएगा। फिर 4-5 बजे तक इसको करवाके सुबह सीधे सेंटर पर इसको 8 बजे, पौने 8 बजे पहुँचा देंगे।

भंडारी : और एग्जाम सेंटर जहाँ पर भी होगा, क्योंकि इसके पास मोबाइल नहीं होगा। छोड़ने तो जाएँगे, लेने तो कोई नहीं जाएगा इसको। एक घंटे का गैप होगा, दो पेपर होते हैं ना! एक पेपर 8-9 बजे से 12 बजे तक।

रिपोर्टर : और दूसरा?

भंडारी : दूसरा एक घंटे के गैप के बाद होगा।

रिपोर्टर : तो यह दोनों पेपर उसे दे देंगे एक रात पहले ही…?

भंडारी : करवा देंगे सॉल्व…कोई 150 क्वेश्चन करवा देंगे। …पेपर मैच हो गया, जैसे बच्चे ने कर लिया, पेपर तो वही आ गया ना! तो बच्चे को आराम से करना है, कोई हड़बड़ी नहीं करनी है।

रिपोर्टर : एग्जामिनेशन सेंटर में?

भंडारी : एग्जामिनेशन सेंटर से पहले, पेपर तो 10-15 मिनट पहले मिल जाएगा ना! ताकि भूल न जाए। …एग्जाम दे दिया आराम से शाम को तो मैच हो ही जाएगा। शाम को पेमेंट कर दिया।

रिपोर्टर : शाम को?

भंडारी : पेमेंट करनी है।

रिपोर्टर : आप जो एक घंटे का गैप बताते हो दोनों एग्जाम्स के बीच में, उस एक घंटे में इसको किसी से बात नहीं करनी चाहिए?

भंडारी : ना, क्यूँकि दूसरे को बता दिया इसको ये आएगा वो आएगा, फँसने वाला काम क्यों करें?

रिपोर्टर : शाम को पेमेंट कर देनी है? लेकिन आप तो कह रहे थे, पेमेंट होगा पास होने के बाद?

भंडारी : पास तो हो ही गया न वो, हमने तो पेपर दिखाया, दूसरे दिन दे दी पेमेंट।

रिपोर्टर : और रिजल्ट कब तक आता है इसका?

भंडारी : 10-15 दिन में।

राकेश भंडारी ने ‘तहलका’ को बताया कि उनके पास तीन विकल्प हैं, जिनके जरिये वह एक उम्मीदवार को एफएमजीई क्लियर करने में मदद कर सकते हैं। पहला पेपर लीक, दूसरा सर्वर के जरिये और तीसरा रिजल्ट फेल से पास करवाकर। उन्होंने ऊपर पेपर लीक के बारे में बताया। अब वह रिपोर्टर को अन्य दो विकल्प बताते हैं।

रिपोर्टर : दूसरा ऑप्शन में आप क्या बताते हैं? सर्वर में कुछ करते हैं?

भंडारी : सर्वर का भी खेल होता है। तीसरा ऑप्शन है फेल भी हो गया, तो पास हो जाएगा।

रिपोर्टर : वो कैसे?

भंडारी : आपको पता है कितने बच्चे पास होते हैं? …कुल 2,500.

रिपोर्टर : एफएमजीई में? और बैठते कितने हैं?

भंडारी : 20,000…17,000; 2,000-2,500 पास होते हैं मैक्सिमम।

रिपोर्टर : बैठते कितने हैं?

भंडारी : 17-18 के (हजार) और 2,500-3,000 अधिकतम पास होते हैं। 10 फीसदी, 8 फीसदी रह जाते हैं। बाकी 200-400 बच्चे तो ऐसे ही निकलते हैं; क्योंकि इसमें इवेल्यूएशन कुछ नहीं है ना! मोटा पैसा खाते हैं वो। पासिंग सर्टिफिकेट दे दिया कट-कट के।

रिपोर्टर : लेकिन उसमें भी लड़का एग्जाम में बैठता है?

भंडारी : एग्जाम में कहीं भी हो, …मेन क्या है पासिंग सब्जेक्ट, वो लास्ट का खेल होता है।

रिपोर्टर : उसमें कितना पैसा लगता है?

भंडारी : एंड का खेल होता है, उसमें 15 लाख भी लगते हैं, 10 लाख भी।

रिपोर्टर : लेकिन एग्जाम में बच्चा बैठता है उसमें?

भंडारी : एग्जाम तो वो देगा।

रिपोर्टर : तीनों ऑप्शन में एग्जाम देना है?

भंडारी : एग्जाम तो देना ही, एग्जाम के बिना कैसे होगा?

यह पूछे जाने पर कि क्या हमारे उम्मीदवार की ओर से कोई और एग्जाम में शामिल होगा या हमारा उम्मीदवार खुद एग्जाम देगा? के जवाब में भंडारी ने बताया कि सिक्किम भारत का एकमात्र राज्य है, जहाँ ऐसा करना सम्भव है। लेकिन उन्होंने चेताया कि यह जोखिम से भरा है। उनके लिए सबसे अच्छा विकल्प प्रश्न पत्र लीक है।

रिपोर्टर : अब आप मुझे बताओ, लड़का ये पूछ रहा था कि उसे एग्जाम देने जाना पड़ेगा या उसकी जगह कोई और देगा एग्जाम एफएमजी का?

भंडारी : देखो सब एग्जाम देना पड़ेगा, सिर्फ एक ही सेंटर ऐसा है, जहाँ दूसरा आदमी बेठ सकता है।

रिपोर्टर : दूसरा आदमी, वो कहाँ है?

भंडारी : वो है सिक्किम में, उसमें प्रॉब्लम क्या है, उसमें हमें ड्रॉबैक भी देखने होंगे, …वैसे ड्रॉबैक में मैं काम करता ही नहीं हूँ, किस्मत खराब हो। फँस गया, तो जिन्दगी बर्बाद हो जाएगी।

रिपोर्टर : हम्म।

भंडारी : रिस्की काम है, इसका काम शाम को ही पता चलेगा इसको…एक दिन पहले या तो।

रिपोर्टर : जैसे कल एग्जाम है एफएमजी का?

भंडारी : रात में ही लेंगे, दिन में मोबाइल ले लेंगे, मोबाइल नहीं होगा।

रिपोर्टर : उससे एक दिन पहले लड़के को क्वेश्चन पेपर मिल जाएगा?

भंडारी : उसको दे जाएँगे वो रख लेगा अपना पास।

अब राकेश भंडारी ने ‘तहलका’ से कहा कि वह परीक्षा से एक रात पहले पेपर लीक करवा देगा। परीक्षार्थी प्रश्न-पत्र देखेंगे। वह इसे हमारे उम्मीदवार के लिए भी हल करवाएँगे। हालाँकि उसने स्पष्ट किया कि अगर हमारा लीक हुआ प्रश्न-पत्र मुख्य प्रश्न-पत्र से मेल खाता है, लेकिन परीक्षार्थी परीक्षा में असफल रहा, तो यह उनकी गलती नहीं है। ऐसे में प्रत्याशी को तय राशि का 50 फीसदी यानी 15 लाख का 7.5 लाख देना होगा।

रिपोर्टर : एक ऑप्शन तो आपने बता दिया एफएमजी एग्जाम का, …और दूसरा क्या है?

भंडारी : दूसरा ऑप्शन, भी होता है पर देखो ये सबसे सटीक होता है, सटीक पता है कैसे? आपको पेपर दिखा दिया, आंसर दे दिये, 200… दे दिये। उसके बाद भी नहीं आएगा, तो ऐसे डॉक्टर बनने का क्या फायदा। और उसके बाद भी फेल हो जाए तो आधा पैसा तो देना ही पड़ेगा, …अपनी तो कोई गलती है ही नहीं।

रिपोर्टर : आपने तो कवेशन पेपर दिखा दिया।

भंडारी : दिखा दिया अब तुम याद ही न करो, समझ लो तू डॉक्टर बनने के लायक है ही नहीं, हा..हा..हा…, तेरे को कुछ भी नहीं आता, जब तेरे को आंसर दे दिया और 8 घंटे में पढ़ा भी दिया उसे, तब भी नहीं आएगा, तो फिर!

रिपोर्टर : फेल हो गया तब भी 50 फीसदी देना पड़ेगा?

भंडारी : देना पड़ेगा, वो छोड़ेगा थोड़ी जब सब मैच हो गया है।

रिपोर्टर : मतलब 15 लाख का 7.50?

यह आपके लिए राकेश भंडारी था। उसने अपनी कहानी सुनाई कि कैसे वह देश में फर्जी डॉक्टर बना रहा है और मानव जीवन को खतरे में डाल रहा है। अब ‘तहलका’ की मुलाकात ढाका (बांग्लादेश) के एक विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट से हुई। यह रिपोर्ट लिखे जाने के समय, उम्मीदवार अपने पहले प्रयास में एफएमजीई में अनुत्तीर्ण हो गया था। लेकिन इससे पहले, उसने कुछ महीने के लिए किसी अस्पताल में काम किया था, और अब दिल्ली में एक नयी नौकरी की तलाश कर रहा है। और कुछ भंडारी-प्रकार के बिचौलिये की भी तलाश कर रहा है, जो एफएमजीई के माध्यम से उसकी मदद कर सके, जिसके लिए वह भुगतान करने के लिए तैयार था। यद्यपि वह एनएमसी से लाइसेंस प्राप्त किये बिना चिकित्सा का अभ्यास (मेडिकल प्रैक्टिस) करके मानव जीवन को खतरे में डाल रहा था, हमने उसके भविष्य के करियर को देखते हुए उम्मीदवार की पहचान उजागर नहीं करने का फैसला किया। हम दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में कश्मीर के उम्मीदवार सिराज (बदला हुआ नाम) से मिले।

सिराज : मैंने इंटर्नशिप खत्म किया जनवरी में।

रिपोर्टर : जनवरी 2022 में और एमबीबीएस कब खत्म किया आपने?

सिराज : एमबीबीएस मैंने किया था मई 2020 में।

रिपोर्टर : एमबीबीएस आपने बांग्लादेश से किया? 2020 में कहाँ-कहाँ काम किया आपने?

सिराज : मैंने तो वहीं पर इंटर्नशिप किया था एक साल का।

रिपोर्टर : ढाका में?

सिराज : जी, मेरे अंकल का एक प्राइवेट हॉस्पिटल हैं कश्मीर में।

रिपोर्टर : किस जगह?

सिराज : xxxxxx जिला।

रिपोर्टर : xxxxx के रहने वाले हैं आप?

सिराज : जी, वहाँ पर भी मैं जाता था।

रिपोर्टर : कितने दिन काम किया था आपने?

सिराज : 2-4 महीने।

रिपोर्टर : कब से कब तक?

सिराज : फरवरी से मई, 2022 तक।

रिपोर्टर : विशेषज्ञता आपके किन-किन चीजों में की है?

सिराज : पीड्रिक्स में अच्छे से देख लेता हूँ, ऑर्थोपेडिक्स और

ऑफ गायनी।

रिपोर्टर : आप यह बताएँ, आपने एमसीआई किया हुआ है?

सिराज : न।

रिपोर्टर : दिया था आपने?

सिराज : हाँ, जून में दिया था।

रिपोर्टर : अभी 2022 जून में; नहीं हुआ?

सिराज : नहीं हुआ।

रिपोर्टर : रिजल्ट आ गया?

सिराज : हाँ।

रिपोर्टर : नहीं हुआ आपका?

सिराज : नहीं।

रिपोर्टर : ये पहला अटैम्प्ट था आपका?

सिराज : जी।

सिराज ने एफएमजीई क्लियर नहीं किया है। इसका मतलब है कि उसके पास भारत में प्रैक्टिस करने का लाइसेंस नहीं है। इसके बावजूद वह हमसे इस उम्मीद में मिला कि दिल्ली के किसी निजी अस्पताल में नौकरी मिल जाएगी। मिलने पर उसने बताया कि उसने दिल्ली के शाहदरा के किसी अस्पताल में इंटरव्यू दिया था। लेकिन उसने नौकरी की पेशकश से इनकार कर दिया, क्योंकि उसे लम्बी-लम्बी शिफ्ट करनी पड़नी थी। उसने यह भी खुलासा किया कि अस्पताल प्रबंधन इस तथ्य के बावजूद उसे नौकरी देने के लिए तैयार था कि वह मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के साथ पंजीकृत नहीं है, जिसे अब राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा बदल दिया गया है।

यानी सिराज और अस्पताल प्रबंधन दोनों ही मरीजों की जान जोखिम में डालने को तैयार थे। उन्होंने हमसे यह भी पूछा कि हमारे माध्यम से मिलने वाली नौकरी से उन्हें कितना वेतन मिलेगा?

रिपोर्टर : दिल्ली में काम किया है आपने?

सिराज : आया था एक-दो बार, …वो साइड शाहदरा में एक नया हॉस्पिटल था। उनको एक जूनियर रेजिडेंट की जरूरत थी, सुबह से लेकर रात तक, …इतना तो नहीं हो पाएगा। हॉस्पिटल में मतलब जूनियर तो बहुत होते हैं और काम मिल बाँट कर करते हैं। वहाँ पे मैं अकेला ही था।

रिपोर्टर : आपने किया कुछ दिन काम?

सिराज : नहीं, मैने कहा… मैं हैंडल नहीं कर सकता।

रिपोर्टर : वो तैयार थे, नॉन-एमसीआई को देने के लिए?

सिराज : हाँ।

रिपोर्टर : हमारे यहाँ कितने घंटे पाएंगे?

सिराज : पहले देखते हैं बात करके।

रिपोर्टर : सैलरी?

सिराज : कितना देंगे…?

रिपोर्टर : आप बताओ?

सिराज : 40-45 हजार?

रिपोर्टर : हाँ, इतना तो देंगे। 40-50 रुपये देंगे।

जब उनसे पूछा गया कि बिना एनएमसी से लाइसेंस लिए डॉक्टरी करना गैर-कानूनी है, तो उन्होंने कश्मीर के अस्पताल में प्रैक्टिस कैसे की? और वह भविष्य में दिल्ली के किसी निजी अस्पताल में कैसे प्रैक्टिस करेंगे? इसके जवाब में सिराज ने कहा कि कश्मीर में अस्पताल प्रबंधन ने उससे कहा था कि वह किसी को यह न बताए कि वह एनएमसी में पंजीकृत नहीं है या एफएमजीई में फेल हो गया है। उसने कहा कि अगर दिल्ली का कोई निजी अस्पताल उसे नौकरी पर रखता है, तो वह इस बात का ध्यान रखेगा।

रिपोर्टर : विदआउट एफएमजी में दिक्कत ये होती है ना! …साला कहीं कोई पकड़ा गया, ईलीगल है ये।

सिराज : कैसे पकड़ेगा, वो जब बात बाहर जाएगी न तब पकड़ेगा न, अंदर वाला नहीं बोलेगा, मैं तो बिलकुल नहीं बोलूँगा, मुझे तो करना ही करना है, अंदर वाला कोई नहीं बोलेगा तो?

रिपोर्टर : हॉस्पिटल से किसी ने बोल दिया?

सिराज : कैसे पता चलेगा, वो तो मैनेजमेंट वाले हैं ना! उनको पता है कि बंदे ने किया है या नहीं किया, क्या पता बंदा ऐसे ही डिग्री ले बाहर चला जाए।

रिपोर्टर : मैनेजमेंट से किसी ने बोल दिया?

सिराज : क्यूँ बोलेगा?

रिपोर्टर : जिन्होंने रखा है आपको, हॉस्पिटल में नौकरी दी है?

सिराज : वो ही तो मैं बोल रहा हूँ क्यों बोलेगा? भाई 70-65 लेता है, आज एफएमजीई करके जो होगा। मैं 50 में, वहाँ 15-20 करके बचेंगे। आपको एक काम करना है, चुप रहना है। वो भी उतना ही काम करेगा, जितना मैं कर रहा हूँ।

सिराज : नौकरी यहीं श्रीनगर में की है।

रिपोर्टर : नौकरी की है आपने?

सिराज : एक-दो महीने की थी, …यहीं श्रीनगर में की है।

रिपोर्टर : फिर छोड़ क्यों दी?

सिराज : यहाँ दिल्ली आ गया था।

रिपोर्टर : कितनी सैलरी दे रहे हैं?

सिराज : वो दे रहे थे 25, जहाँ xxxxxx कर रही है आज।

रिपोर्टर : उसी अस्पताल में, क्या नाम है उस अस्पताल का?

सिराज : xxxxxx।

रिपोर्टर : xxxxx तो आपके दोस्त हैं, xxxxx अस्पताल, xxxxx श्रीनगर में ही है… तो आपने छोड़ क्यों दिया वहाँ से।

सिराज : एग्जाम था न यहाँ पे, फिर आपसे मुलाकात हुई, वेट ही कर रहा था।

रिपोर्टर : 2 ही महीने काम किया था आपने।

सिराज : हाँ।

रिपोर्टर : मैनेजमेंट को पता था कि आपने एफएमजीई क्लियर

नहीं किया?

सिराज : हाँ, xxxxx ने भी तो नहीं किया है। वहाँ मिल जाते हैं…लेकिन पे बहुत कम करते हैं।

रिपोर्टर : तो क्या थे वहाँ…डॉक्टर वे या इंटर्न थे?

सिराज : जेआर, जूनियर रेजिडेंट।

रिपोर्टर : क्या रिस्पॉन्सिबिलिटी थी आपकी?

सिराज : अब यही, पेशेंट आएगा उसे रिसीव करना, किसी का ऑपरेशन पोस्ट-रिकवरी में देखना है, बीपी देखना है, पल्स देखना है।

रिपोर्टर : मरीज नहीं देखते थे आप?

सिराज : देखते थे मतलब, सीनियर मैम साथ में होती थी…वो बोलती थी बीपी देखो, पल्स देखो, लिखो दवाई इसको क्या-क्या है।

रिपोर्टर : अपनी तरफ से दवाई नहीं लिखते वे आप?

सिराज : वो अलाउड नहीं थी?

रिपोर्टर : क्यों?

सिराज : बोलते थे, सीनियर से पूछना अगर देना हो तो।

रिपोर्टर : अपनी तरफ से आप न दवाई लिखते हैं, …न मरीज देखते हैं?

सिराज : मरीज देखते वे, वो मसला नहीं था। हम मैम के पास जाते वे, मैम ये मसला है वो मसला है वो बोलते थे इनको ये दवाई दो, वो दवाई दो।

रिपोर्टर : जो सीनियर होते हैं, वे सब एफएमजीई पास होते थे?

सिराज : हाँ, 10-12 साल सीनियर।

रिपोर्टर : तो यह काम भी अलाउड नहीं है, जेआर का भी? बिना एफएमजीई पास किये?

सिराज : कोई काम अलाउड नहीं है।

रिपोर्टर : इंटर्नशिप की इजाजत होगी?

सिराज : नहीं।

रिपोर्टर : वो भी अलाउड नहीं है। कौन कह रहा है?

सिराज : एग्जाम पास करके लाइसेंस मिलता है, तब जाके आप काम करोगे।

रिपोर्टर : इंटर्न भी तब बनोगे?

सिराज : हाँ।

रिपोर्टर : पक्का? मतलब बिना एफएमजीई क्लियर करे आप इंटर्न भी नहीं हो सकते?

सिराज : इंटर्न तो मैंने किया ना।

रिपोर्टर : मैं रूल पूछ रहा हूँ, इंडिया में अगर किसी ने एफएमजीई क्लियर नहीं किया है, तो वो इंटर्न भी नहीं बन सकता?

सिराज : नहीं।

रिपोर्टर : पक्का नियम है ये? और अगर कोई पकड़ा गया तो?

सिराज : अभी कोई है नहीं।

रिपोर्टर : अभी कोई पकड़ा गया विदाउट एफएमजी?

सिराज : ऐसे ही हॉस्पिटल के बंदे से बोला जाता है, बोलना नहीं है किसी से, खयाल रखना है चुपचाप करो काम।

रिपोर्टर : मैनेजमेंट भी बोलता होगा आपसे? कि बोलना नहीं किसी से?

सिराज : हाँ।

सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को भेजा नोटिस, रविवार को फिर से होगी पूछताछ

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता को दिल्ली की नई शराब नीति में कथित घोटाला मामले में पूछताछ के लिए कल (यानी 19 फरवरी) फिर से अपने मुख्यालय बुलाया है। इसकी जानकारी सिसोदिया ने शनिवार को खुद ट्वीट कर दी है।

मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा कि, “सीबीआर्इ ने कल फिर बुलाया है। मेरे खिलाफ उन्होंने सीबीआई, ईडी की पूरी ताकत लगा रखी है, घर पर रेड, बैंक लॉकर तलाशी, कहीं मेरे खिलाफ कुछ नहीं मिला। मैंने दिल्ली के बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा का इंतजाम किया है। ये उसे रोकना चाहते है। मैंने जांच में हमेशा सहयोग किया है और करूँगा।”

अधिकारियों का कहना है कि सीबीआई ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री को करीब तीन महीने बाद पूछताछ के लिए बुलाया है। हालांकि चार्जशीट में उन्हें आरोपी के रूप में नामजद नहीं किया गया है। और गिरफ्तार व्यवसायी विजय नायर व अभिषेक बोइनपल्ली को मिला कर चार्जशीट में नामजद कुल सात आरोपी शामिल है।

सूत्रों के अनुसार 11 फरवरी को दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में ईडी ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद मगुंता श्रीनिवासुलु रेड्डी के बेटे मगुंता राघव रेड्डी को गिरफ्तार किया था। आरोपी राघव बालाजी ग्रुप नाम की कंपनी का मालिक है।

वहीं प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई ने दावा किया है कि, साउथ ग्रुप के नाम से जानी जाने वाली एक लॉबी की मिलीभगत और रिश्वत लेकर दिल्ली की उत्पाद शुल्क नीति को संशोधित करते हुए अनियमितताएं की गर्इ।

आपको बता दें, शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने की दिल्ली सरकार की नीति कुछ डीलरों के हित में बताई जा रही है और उन्होंने इसके लिए कथित रूप से रिश्वत दी थी। किंतु इस आरोप से आप ने हमेशा ही इनकार किया है।

विनोद अडानी की सिंगापुर यूनिट ने कर्ज के लिए 240 मिलियन डॉलर का स्टेक गिरवी रखा: फोर्ब्स

हिंडनवर्ग रिसर्च के बाद अब अडानी ग्रुप पर एक और बड़ा आरोप लगा है। जानी मानी पत्रिका फोर्ब्स ने अडानी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी को लेकर दावा किया है कि अडानी ग्रुप के प्रमोटर के स्टेक को कर्ज के लिए गिरवी रखा गया।

रिपोर्ट के अनुसार, विनोद अडानी की नियंत्रित एक प्राइवेट कंपनी की सिंगापुर की यूनिट ने एक रूसी बैंक से कर्ज के लिए अडानी के प्रमोटर के 240 मिलियन डॉलर के स्टेक को गिरवी रखा है।

इस खुलासे के बाद पहले से संकट में चल रहा अडानी ग्रुप और दिक्कत में फंस सकता है। दिलचस्प यह है कि हिंडनबर्ग ने भी फोर्ब्स की रिपोर्ट को री-ट्वीट किया है। इसमें दावा किया है कि गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी ने सिंगापुर स्थित अपनी कंपनी के लिए एक रूसी बैंक से 240 मिलियन डॉलर का कर्ज गौतम अडानी की कंपनी के, बेनामी स्टॉक को गिरवी रख कर ले लिया है, लेकिन इसकी खबर अडानी ने, भारतीय बैंकों को नहीं दी है।

बता दें इससे पहले हिंडनबर्ग की 24 जनवरी को आई रिपोर्ट के बाद से अडानी समूह की सात लिस्टेड फर्मों का मार्केट वैल्यू 125 अरब डॉलर घट गया है। फोर्ब्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि विनोद अडानी, जो प्रवासी भारतीय हैं, वो लंबे समय से अडानी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों के केंद्र में हैं। अर्थात मुख्य रूप से कारोबार से जुड़े हैं। विनोद अडानी दुबई में रह रहे हैं और वहां के साथ-साथ वो सिंगापुर और जकार्ता में व्यापारिक व्यवसायों का प्रबंधन करते हैं।

अब इंडिगो का 500 नए जहाज खरीदने का ऐलान, यूरोप तक पहुंच बढ़ाने की कोशिश

कोविड से पहले देश की सबसे बड़ी एयरलाईंस इंडिगो नए जहाज़ों के आर्डर देने की जो योजना बना रही थी और जिसे उस समय की परिस्थितियों के कारण टालना पड़ा था, को अब मूर्त रूप देने की तैयारी कर ली गयी है। इंडिगो ने कहा है कि उसने यूरोप तक अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए टर्किश एयरलाइंस के साथ पार्टनरशिप की है। साथ ही अपनी विस्तार योजना के तहत करीब 500 और विमानों का ऑर्डर दिया है। हाल में एयर इंडिया ने भी बड़े पैमाने पर नए जहाजों का आर्डर दिया है। यह दोनों कंपनियां भारत में एक दूसरे की कम्पीटीटर हैं।

इंडिगो इंटरनेशनल सेल्स के प्रमुख विनय मल्होत्रा ने कहा कि इंडिगो ने अपनी विस्तार योजना के तहत करीब 500 और विमानों का ऑर्डर दिया है। इंडिगो ने यूरोपीय दिग्गज एयरबस और यूएस बोइंग दोनों को विमानों का ऑर्डर दिया है। मल्होत्रा ने कहा कि इंडिगो ने यूरोप तक अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए टर्किश एयरलाइंस के साथ पार्टनरशिप की है।

मल्होत्रा के मुताबिक इंडिगो इस समय रोजाना 1,800 उड़ानें भर रही है। इनमें से से 10 फीसदी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें हैं। वर्तमान में इंडिगो के बेड़े में 300 से अधिक विमान हैं। इस समय कम्पनी 76 घरेलू और 26 अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों पर उड़ानें भेजती है। हाल में इंडिगो ने महाराष्ट्र के नासिक और हिमाचल के धर्मशाला के लिए उड़ानें शुरू करने का ऐलान किया है।

इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स का कहना है कि इंडिगो ने बड़ी वापसी की है और भारत की आर्थिक वृद्धि इसे आगे बढ़ने में मदद कर रही है। एयरलाइन की रोजाना की उड़ानों में उपलब्ध सीटों में करीब 80 प्रतिशत घरेलू और 20 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय हैं। उनके मुताबिक इंडिगो आने वाली गर्मियों में नैरोबी (केन्या) और जकार्ता (इंडोनेशिया) के लिए नई उड़ानें शुरू करेगी। साथ ही मध्य एशिया के कुछ गंतव्यों पर भी विचार किया जा रहा है, हालांकि, इस पर अभी अंतिम मुहर लगनी बाकी है।

पवार ने उद्धव से कहा – नए चुनाव चिन्ह को स्वीकार करें, जनता भी कर लेगी

चुनाव आयोग की तरफ से शिंदे के नेतृत्व वाली शिव सेना को पार्टी का चुनाव चिन्ह देने के बाद उद्धव ठाकरे के  सर्वोच्च न्यायालय में जाने के फैसले पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता शरद पवार ने उन्हें सलाह दी है कि चुनाव चिन्ह बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा और  उन्हें इस फैसले को स्वीकार कर। पवार ने इसके लिए  गांधी का उदाहरण दिया है जिन्होंने 1978 में एक चुनाव नया चिह्न चुना था, और इसके दो साल बाद ही बड़े बहुमत से चुनाव जीता था।

पवार ने कहा कि ‘तीर-कमान’ का चिह्न खोने से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि जनता उसके नए चिह्न को स्वीकार कर लेगी। पवार की पार्टी ठाकरे वाली शिवसेना और कांग्रेस की महाअघाड़ी गठबंधन सहयोगी है।

पवार ने याद दिलाया कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने 1978 में एक नया चिह्न चुना था, लेकिन उससे पार्टी को नुकसान नहीं उठाना पड़ा था। चुनाव आयोग की तरफ से एकनाथ शिंदे वाले गुट को वास्तविक शिवसेना के रूप में मान्यता देने और उसे मूल चिन्ह ‘तीर-कमान’ आवंटित करने के निर्वाचन आयोग (ईसी) के फैसले के बाद अपनी प्रतिक्रिया में यह बात कही।

एनसीपी प्रमुख ने ठाकरे समूह को सलाह दी – ‘जब कोई फैसला आ जाता है, तो चर्चा नहीं करनी चाहिए। इसे स्वीकार करें, नया चिह्न लें. इससे (पुराना चिह्न खोने से) कोई फर्क नहीं पड़ेगा।’

सेंसेक्स 316 अंक की गिरावट और निफ्टी 91 अंकों की गिरावट के साथ हुआ बंद

शेयर बाजार में आज मंदी दिखी। जहाँ सेंसेक्स में 316 अंक की गिरावट दिखी और यह 61002 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 91 अंकों की गिरावट के साथ 17944 पर बंद हुआ।

हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को वैश्विक बाजारों में कमजोरी के बीच शुरुआती कारोबार में प्रमुख शेयर सूचकांकों में गिरावट आई। इस दौरान बीएसई सेंसेक्स 397.67 अंक गिरकर 60,921.84 अंक पर आ गया।

शुक्रवार को बाजार की गिरावट में सबसे आगे बैंकिंग, आईटी और रियल्टी सेक्टर के शेयर रहे. निफ्टी के टॉप लूजर्स में अदानी एंटरप्राइजेज का शेयर 4.3 फीसदी की गिरावट के साथ सबसे आगे रहा। वहीं, एलएंडटी 2 फीसदी की मजबूती के साथ इंडेक्स में टॉप गेनर रहा।

शेयर बाजार में आज तेज बिकवाली देखने को मिली। बीएसई पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 3590 शेयरों में कारोबार हुआ। इसमें से 1941 स्टॉक गिरावट के साथ और 1509 शेयर बढ़त के साथ बंद हुए। लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप भी घटकर 266.83 लाख करोड़ रुपए हो गया है।

उधर एनएसई निफ्टी 108.4 अंक टूटकर 17,927.45 पर था। सेंसेक्स में नेस्ले, इंडसइंड बैंक, टेक महिंद्रा, विप्रो, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, इंफोसिस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक गिरने वाले प्रमुख शेयर थे। उधर अल्ट्राटेक सीमेंट, लार्सन एंड टुब्रो, टाटा स्टील, एशियन पेंट्स और रिलायंस में तेजी रही।

एमसीडी चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट : मनोनीत पार्षद नहीं करेंगे वोट, कल होगी बैठक

सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली में मेयर चुनाव जल्द कराने और मनोनीत पार्षदों को मतदान के अधिकार को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए इस बात पर नाराजगी जताई कि देश की राजधानी में यह सब हो रहा है। सर्वोच्च अदालत ने यह भी फैसला सुनाया है कि राज्यपाल की तरफ से मनोनीत पार्षद मतदान में हिस्सा नहीं ले सकते। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि पहले चुनाव के लिए कल (शनिवार) बैठक होगी।  

आज की सुनवाई में प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा – ‘देश की राजधानी में ये हो रहा, अच्छा नहीं लगता।’ अदालत ने जल्द चुनाव का भी संकेत दिया है और यह शनिवार को भी हो सकते हैं।

इस तरह दिल्ली नगर निगम के मेयर चुनाव मामले में आम आदमी पार्टी को सर्वोच्च अदालत से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर फैसला देते हुए कहा कि मेयर चुनाव में राज्यपाल के मनोनीत 10 पार्षद (एल्डरमैन) वोट नहीं करेंगे।

नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में मनोनीत सदस्यों को मतदान करने की अनुमति देने के एलजी के फैसले को चुनौती देने वाली आप नेता शैली ओबेरॉय की याचिका पर अदालत ने ये फैसला सुनाया। मेयर चुनाव के लिए मतदान में हो रही देरी पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘देश की राजधानी में ये हो रहा, अच्छा नहीं लगता’।  

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 243R के हिसाब से मनोनीत पार्षद वोट नहीं दे सकते। चुनाव जल्द से जल्द होना बेहतर है। एमसीडी के वकील एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि एल्डरमैन (मनोनीत पार्षद) वोट दे सकते हैं।

आम आदमी पार्टी की ओर से अदालत में पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा – ‘मैं शीघ्र ही दो बिंदु आपके सामने रखूंगा। पहला यह कि हम बात कर रहे हैं किसी नगर पालिका में मेयर चुनाव की। कृपया अनुच्छेद 243R देखें।  संविधान का अनुच्छेद 243R एल्डरमैन को वोटिंग का अधिकार नहीं देता है। पैरा 1 कहता है कि मनोनीत व्यक्ति मतदान नहीं कर सकते। इस चुनाव के लिए इस नगर पालिका के लिए यह अधिनियम इसे दर्शाता है, वह खंड 3ए है’।

सिंघवी ने कहा कि अब वास्तविक नियमों को देखें। पहले आप महापौर का चुनाव करते हैं और फिर महापौर शेष बैठक की अध्यक्षता करते हैं। कोर्ट को चुनाव की तारीख तय करनी चाहिए। जो भी हो उन्हें चुनाव कराना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि प्रथम दृष्टया, अनुच्छेद 243R से पता चलता है कि मनोनीत सदस्य मतदान नहीं कर सकते हैं। पहले चुनाव के लिए कल बैठक होगी। मेयर का चुनाव तत्काल होना है।